History Department
इतिहास विभाग
सच्चे अर्थों में इतिहास मनुष्य का स्वयं से आगे बढ़ने, स्वतंत्रता और मानवीय सद्भाव के आदर्श के करीब पहुंचने का संघर्ष है। -डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
विभाग एक नजर में
महाविद्यालय में इतिहास विभाग की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी और वर्ष 2016 से ही महाविद्यालय इस विषय का अपना व्यापक प्रभाव रहा है। विभाग का उद्देश्य भारत व उत्तराखण्ड राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना और छात्रों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसके अलावा भारत के संवैधानिक इतिहास को भी पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया गया है। विभाग खुद को एक छात्र हितैषी विभाग मानता है, जहाँ छात्र/छात्राओं को नियमित पाठ्यक्रमों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी मार्गदर्शन दिया जाता है। इस प्रयास की खूब सराहना की गई है और यह सफल भी रहा है, क्योंकि छात्रों को उनके स्नातक स्तर की पढ़ाई के शुरू में ही छाँटकर चुना जाता है। चयनित छात्रों को इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए अच्छी तरह से मार्गदर्शन और मदद दी जाती है।
शिक्षा के अलावा विभाग सांस्कृतिक गतिविधियों, सामाजिक जागरूकता अभियान, खेल, एनएसएस गतिविधियों में भागीदारी आदि जैसे अतिरिक्त सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में उत्साहपूर्वक शामिल रहा है। अध्ययन दौरे और विस्तार गतिविधियों को भी अकादमिक शिक्षा के साथ घनिष्ठ रूप से एकीकृत किया गया है ताकि छात्रों की धारणा और दृष्टिकोण को बढ़ाया जा सके।
पुस्तकों से परे ज्ञान की प्राप्ति के लिए विभाग सक्रिय रूप से राष्ट्रीय संगोष्ठियों और कार्यशालाओं के आयोजन के साथ-साथ पुराने दस्तावेजों, पुराने सिक्कों और पुराने आभूषणों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन करने में भी लगा हुआ है, ताकि हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के मूल्यों को आत्मसात किया जा सके।
संकाय सदस्य भी शोध पत्र प्रकाशित करने और सेमिनार, कार्यशालाओं आदि जैसे विभिन्न संकाय संवर्धन कार्यक्रमों के माध्यम से अपने स्वयं के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में सक्रिय रूप से योगदान कर रहें है।
विभाग का संदृष्टि
➡️एक स्थायी समाज के लिए छात्रों की शैक्षणिक वृद्धि हेतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।
➡️समाज की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना तथा उनके साथ निकटता से जुड़ना, विद्यार्थियों में राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करना तथा उन्हें हमारे गौरवशाली अतीत, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा सामाजिक एवं धार्मिक सद्भाव का ज्ञान प्रदान करना।
➡️छात्रों को इतिहास से संदर्भ देकर उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए उनमें आत्मविश्वास का स्तर विकसित करना ।
➡️ संकाय शिक्षक और छात्रों के बीच सहायक और देखभाल वातावरण बनाना।
➡️ क्षेत्रीय इतिहास, विशेषकर जनजातीय जीवन एवं संस्कृति, महिलाओं एवं अन्य दलित जातियों एवं समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति तथा राष्ट्रीय प्राथमिकता के अन्य पहलुओं में अनुसंधान गतिविधियों में सुधार करना।
उद्देश्य
हमारे दृष्टिकोण को कार्ययोजना में बदलने के लिए, विभाग मानव संसाधन, मूल्य शिक्षा और सामाजिक आवश्यकताओं के विकास के लिए कार्यक्रम और परियोजनाएँ शुरू करेगा। विभाग उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल और सीखने के लिए अनुकूल शैक्षिक और पुस्तकालय सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। कौशल को बढ़ावा देने और प्रतियोगी परीक्षाओं विशेष रूप से सिविल सेवा परीक्षा, राज्य सेवा परीक्षा और नेट परीक्षा में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन करके छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। शिक्षाविदों, विद्वानों और छात्रों को भारत व उत्तराखण्ड राज्य के इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व के विभिन्न पहलुओं के बारे में अपने शोध और ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
संक्षेप में, विभाग युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और इतिहास से परिचित कराने की इच्छा और संकल्प के साथ भविष्य की ओर देखता है, इस विश्वास के साथ कि हमारे अतीत में की गई गलतियों से बचने और हमारे भविष्य के कार्यों को करने और उनका मूल्यांकन करने के लिए ज्ञान अनिवार्य है, इसके अलावा इतिहास को जानना व्यावहारिक रूप से प्रासंगिक है क्योंकि यह सभी प्रतियोगी परीक्षाओं का एक बड़ा हिस्सा है। इस तरह की दृष्टि से विभाग आने वाले वर्षों में इस प्रयास में जोश और उत्साह के साथ योगदान करने के लिए तत्पर है।
विभागाध्यक्ष-
श्रीमती पुष्पा
Sample Description
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इतिहास विभाग
सच्चे अर्थों में इतिहास मनुष्य का स्वयं से आगे बढ़ने, स्वतंत्रता और मानवीय सद्भाव के आदर्श के करीब पहुंचने का संघर्ष है। -डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनविभाग एक नजर में महाविद्यालय में इतिहास विभाग की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी और वर्ष 2016 से ही महाविद्यालय इस विषय का अपना व्यापक प्रभाव रहा है। विभाग का उद्देश्य भारत व उत्तराखण्ड राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना और छात्रों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसके अलावा भारत के संवैधानिक इतिहास को भी पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया गया है। विभाग खुद को एक छात्र हितैषी विभाग मानता है, जहाँ छात्र/छात्राओं को नियमित पाठ्यक्रमों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी मार्गदर्शन दिया जाता है। इस प्रयास की खूब सराहना की गई है और यह सफल भी रहा है, क्योंकि छात्रों को उनके स्नातक स्तर की पढ़ाई के शुरू में ही छाँटकर चुना जाता है। चयनित छात्रों को इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए अच्छी तरह से मार्गदर्शन और मदद दी जाती है। शिक्षा के अलावा विभाग सांस्कृतिक गतिविधियों, सामाजिक जागरूकता अभियान, खेल, एनएसएस गतिविधियों में भागीदारी आदि जैसे अतिरिक्त सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में उत्साहपूर्वक शामिल रहा है। अध्ययन दौरे और विस्तार गतिविधियों को भी अकादमिक शिक्षा के साथ घनिष्ठ रूप से एकीकृत किया गया है ताकि छात्रों की धारणा और दृष्टिकोण को बढ़ाया जा सके। पुस्तकों से परे ज्ञान की प्राप्ति के लिए विभाग सक्रिय रूप से राष्ट्रीय संगोष्ठियों और कार्यशालाओं के आयोजन के साथ-साथ पुराने दस्तावेजों, पुराने सिक्कों और पुराने आभूषणों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन करने में भी लगा हुआ है, ताकि हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के मूल्यों को आत्मसात किया जा सके। संकाय सदस्य भी शोध पत्र प्रकाशित करने और सेमिनार, कार्यशालाओं आदि जैसे विभिन्न संकाय संवर्धन कार्यक्रमों के माध्यम से अपने स्वयं के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में सक्रिय रूप से योगदान कर रहें है। विभाग का संदृष्टि ➡️एक स्थायी समाज के लिए छात्रों की शैक्षणिक वृद्धि हेतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना। ➡️समाज की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना तथा उनके साथ निकटता से जुड़ना, विद्यार्थियों में राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करना तथा उन्हें हमारे गौरवशाली अतीत, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा सामाजिक एवं धार्मिक सद्भाव का ज्ञान प्रदान करना। ➡️छात्रों को इतिहास से संदर्भ देकर उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए उनमें आत्मविश्वास का स्तर विकसित करना । ➡️ संकाय शिक्षक और छात्रों के बीच सहायक और देखभाल वातावरण बनाना। ➡️ क्षेत्रीय इतिहास, विशेषकर जनजातीय जीवन एवं संस्कृति, महिलाओं एवं अन्य दलित जातियों एवं समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति तथा राष्ट्रीय प्राथमिकता के अन्य पहलुओं में अनुसंधान गतिविधियों में सुधार करना। उद्देश्य हमारे दृष्टिकोण को कार्ययोजना में बदलने के लिए, विभाग मानव संसाधन, मूल्य शिक्षा और सामाजिक आवश्यकताओं के विकास के लिए कार्यक्रम और परियोजनाएँ शुरू करेगा। विभाग उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल और सीखने के लिए अनुकूल शैक्षिक और पुस्तकालय सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। कौशल को बढ़ावा देने और प्रतियोगी परीक्षाओं विशेष रूप से सिविल सेवा परीक्षा, राज्य सेवा परीक्षा और नेट परीक्षा में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन करके छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। शिक्षाविदों, विद्वानों और छात्रों को भारत व उत्तराखण्ड राज्य के इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व के विभिन्न पहलुओं के बारे में अपने शोध और ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। संक्षेप में, विभाग युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और इतिहास से परिचित कराने की इच्छा और संकल्प के साथ भविष्य की ओर देखता है, इस विश्वास के साथ कि हमारे अतीत में की गई गलतियों से बचने और हमारे भविष्य के कार्यों को करने और उनका मूल्यांकन करने के लिए ज्ञान अनिवार्य है, इसके अलावा इतिहास को जानना व्यावहारिक रूप से प्रासंगिक है क्योंकि यह सभी प्रतियोगी परीक्षाओं का एक बड़ा हिस्सा है। इस तरह की दृष्टि से विभाग आने वाले वर्षों में इस प्रयास में जोश और उत्साह के साथ योगदान करने के लिए तत्पर है।
विभागाध्यक्ष- श्रीमती पुष्पा |
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