Sanskrit Department
संस्कृत विभाग
विभाग के बारे में-
संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है यह भारत नामक जीवन का सार है। संस्कृत मानव जाति को विश्व शांति का दिव्य संदेश देती है। महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की स्थापना सत्र 2016 से हुई है। अपनी स्थापना के बाद से विभाग संस्कृत भाषा के अध्ययन को लोकप्रिय बनाने में लगा हुआ है। संस्कृत को प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए स्नातक स्तर पर दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। विभाग का मुख्य ध्यान स्नातक स्तर पर शिक्षा प्रदान करना है। संस्कृत विभाग,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के दिशानिर्देशों और सेमेस्टर पैटर्न का पालन करता है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए विभाग विभिन्न गतिविधियों जैसे सेमिनार, छात्र अध्ययन परियोजनाएं, जनकल्याणकारी कार्यक्रम, मौखिक संस्कृत सुनना आदि का आयोजन करता है।
दृष्टि
संस्कृत विश्व की अधिकांश भाषाओं की जननी है और विभाग संस्कृत को अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के समकक्ष बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।
उद्देश्य
➡️ छात्रों को संस्कृत भाषा और साहित्य के दायरे और महत्व को समझने में सक्षम बनाना।
➡️ शास्त्रीय लेखन और साहित्य की सराहना करना।
➡️ सौन्दर्यपरक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना तथा सदाचारी जीवन जीना।
➡️ पारंपरिक ज्ञान की तुलना समकालीन ज्ञान से करना।
➡️ छात्रों में प्राचीन विद्वानों के महान कार्यों के प्रति सम्मान की भावना विकसित करना।
➡️ छात्रों की मौखिक और लिखित संस्कृत समझने की क्षमता बढ़ाना।
➡️ छात्रों को सही उच्चारण, उच्चारण और स्वर-उच्चारण के साथ संस्कृत पढ़ाना।
➡️ छंदों को गाना या सुनाना।
Activities:

Head of the Department
Dr. Atul Kumar Mishra
Astt. Professor- Sanskrit
Sample Description
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संस्कृत विभाग
विभाग के बारे में-
संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है यह भारत नामक जीवन का सार है। संस्कृत मानव जाति को विश्व शांति का दिव्य संदेश देती है। महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की स्थापना सत्र 2016 से हुई है। अपनी स्थापना के बाद से विभाग संस्कृत भाषा के अध्ययन को लोकप्रिय बनाने में लगा हुआ है। संस्कृत को प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए स्नातक स्तर पर दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। विभाग का मुख्य ध्यान स्नातक स्तर पर शिक्षा प्रदान करना है। संस्कृत विभाग,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के दिशानिर्देशों और सेमेस्टर पैटर्न का पालन करता है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए विभाग विभिन्न गतिविधियों जैसे सेमिनार, छात्र अध्ययन परियोजनाएं, जनकल्याणकारी कार्यक्रम, मौखिक संस्कृत सुनना आदि का आयोजन करता है।
दृष्टि
संस्कृत विश्व की अधिकांश भाषाओं की जननी है और विभाग संस्कृत को अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के समकक्ष बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।
उद्देश्य
➡️ छात्रों को संस्कृत भाषा और साहित्य के दायरे और महत्व को समझने में सक्षम बनाना।
➡️ शास्त्रीय लेखन और साहित्य की सराहना करना।
➡️ सौन्दर्यपरक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना तथा सदाचारी जीवन जीना।
➡️ पारंपरिक ज्ञान की तुलना समकालीन ज्ञान से करना।
➡️ छात्रों में प्राचीन विद्वानों के महान कार्यों के प्रति सम्मान की भावना विकसित करना।
➡️ छात्रों की मौखिक और लिखित संस्कृत समझने की क्षमता बढ़ाना।
➡️ छात्रों को सही उच्चारण, उच्चारण और स्वर-उच्चारण के साथ संस्कृत पढ़ाना।
➡️ छंदों को गाना या सुनाना।
Activities:
Head of the Department
Dr. Atul Kumar Mishra
Astt. Professor- Sanskrit
विभाग के बारे में-
संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है यह भारत नामक जीवन का सार है। संस्कृत मानव जाति को विश्व शांति का दिव्य संदेश देती है। महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की स्थापना सत्र 2016 से हुई है। अपनी स्थापना के बाद से विभाग संस्कृत भाषा के अध्ययन को लोकप्रिय बनाने में लगा हुआ है। संस्कृत को प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए स्नातक स्तर पर दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। विभाग का मुख्य ध्यान स्नातक स्तर पर शिक्षा प्रदान करना है। संस्कृत विभाग,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के दिशानिर्देशों और सेमेस्टर पैटर्न का पालन करता है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए विभाग विभिन्न गतिविधियों जैसे सेमिनार, छात्र अध्ययन परियोजनाएं, जनकल्याणकारी कार्यक्रम, मौखिक संस्कृत सुनना आदि का आयोजन करता है।
दृष्टि
संस्कृत विश्व की अधिकांश भाषाओं की जननी है और विभाग संस्कृत को अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के समकक्ष बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।
उद्देश्य
➡️ छात्रों को संस्कृत भाषा और साहित्य के दायरे और महत्व को समझने में सक्षम बनाना।
➡️ शास्त्रीय लेखन और साहित्य की सराहना करना।
➡️ सौन्दर्यपरक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना तथा सदाचारी जीवन जीना।
➡️ पारंपरिक ज्ञान की तुलना समकालीन ज्ञान से करना।
➡️ छात्रों में प्राचीन विद्वानों के महान कार्यों के प्रति सम्मान की भावना विकसित करना।
➡️ छात्रों की मौखिक और लिखित संस्कृत समझने की क्षमता बढ़ाना।
➡️ छात्रों को सही उच्चारण, उच्चारण और स्वर-उच्चारण के साथ संस्कृत पढ़ाना।
➡️ छंदों को गाना या सुनाना।
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